अब बताईये कैसा संयोग है । मैं मध्यप्रदेश में पैदा हुआ और मध्यप्रदेश में ये गीत कुछ इस तरह से गाया जाता है: चंदामामा दूर के पूड़ी पकाएं पूर के । आप खाएं थाली में । मुन्ने को दें थाली में । थाली गयी टूट । मामा गए रूठ । वग़ैरह वग़ैरह । इसी में कहीं फुसला-बहला के बच्चे को खाना खिलाने की तरकीब होती है । संसार का कोई बच्चा शायद ऐसा नहीं होगा जिसने बड़ी सिधाई से मां के हाथ से खाना खा लिया होगा । जो बच्चा खाना खाने में नखरे
ना करे, वो बच्चा ही कैसा ।
शायद इसीलिए हमारे लोकगीतों और हमारी संस्कृति में इस तरह के गाने आए हैं और पीढि़यों से गाए जाते रहे हैं । भगवान जाने ये किसके दिमाग़ की उपज थे । झुर्रियों के पीछे छिपे किसी उम्रदराज़ मनोवैज्ञानिक मस्तिष्क की । या ममत्व की तरंगों में लीन किसी मां प्यार की ।
जब ये गीत मुझे मिला और मैंने रेडियोसखी ममता को सुनवाया तो उन्होंने फ़ौरन ही इस धुन और इन बोलों को पहचान लिया और बताया कि कोई ऐसा बच्चा नहीं जो इस गाने के बाद अपना मुंह ना खोले और 'बबुआ के मुंहवा में घुटूं' तक पहुंचते पहुंचते अपना मुंह ना खोल दे । संयोग से ये गीत हासिल हुआ है । फिल्म है भौजी । मैं बस इतना ही पता कर पाया कि इस भोजपुरी फिल्म में मजरूह सुल्तानपुरी ने गाने लिखे थे और संगीतकार थे चित्रगुप्त । लता जी की आवाज़ में वात्सल्य कैसा छलक-छलक पड़ता है सुनिए ।
song-aye chanda mama are aawa paare aawa
singer-lata mangeshkar
film-bhauji
चंदा मामा आरे आवा पारे आवा नदिया किनारे आवा ।
सोना के कटोरिया में दूध भात लै लै आवा
बबुआ के मुंहवा में घुटूं ।।
आवाहूं उतरी आवा हमारी मुंडेर, कब से पुकारिले भईल बड़ी देर ।
भईल बड़ी देर हां बाबू को लागल भूख ।
ऐ चंदा मामा ।।
मनवा हमार अब लागे कहीं ना, रहिलै देख घड़ी बाबू के बिना
एक घड़ी हमरा को लागै सौ जून ।
ऐ चंदा मामा ।।
चिट्ठाजगत Tags: ऐ चंदामामा आरे आवा पारे आवा , लता मंगेशकर , चित्रगुप्त , मजरूह सुल्तानपुरी , फिल्म भौजी , लोरी , aye chanda mama aare aawa paare aawa , chitragupt. , majrooh sultanpuri , film bhauji , lori
क्या गजब चीज सुनवा दी..मजा आ गया. बहुत आभार.
ReplyDeleteअरेवाह! यह तो बचपन से सुन कर अधेड़ हुये हैं। क्या नायाब चीज सुना दी यूनुस!
ReplyDeleteअरे बाबा…कित्ता पुराना गीत है ये--सुना था मगर बोल याद नही थे--बहुत आभार यूनुस जी--
ReplyDeleteयूनुस जी आपके वे हाथ जिन्होंने ये आज की पोस्ट लगाई उनको मिलने पर चूमूंगा अवश्य कि आपने इतना सुंदर गीत सुनवाया । और वो भी लताजी का गीत । आभार हृदय से आभार ।
ReplyDeleteलाजवाब. जादू से कम कुछ नहीं. ऐसी आवाज फिर कभी नहीं होगी. बहुत बहुत शुक्रिया.
ReplyDeleteलता जी की मिठास भरी आवाज और गाने मे कितना लाड-प्यार छलक रहा है।
ReplyDeleteबहुत ही प्यारा गीत सुनवाने के लिए शुक्रिया।
शायद ये गाना बचपन में सबसे ज्यादा सुनाया गया... शायद हर रात को खाने से पहले...
ReplyDeletenaani ke jamane se sunti aa rahi hun ...kahan se dhundh laaye..?
ReplyDeleteबहुत खूब.बचपन में मम्मी इसे गा कर हमें दूध पिलाती थीं.उस छोटे गिलास (जिसे हम गिलासी कहते थे )की भी याद आ गयी.
ReplyDeleteलोकगीतों में समवेदनाओं का वेग छुपा होता था यूनुस भाई..घर की बोली में पगे ये पद्य हमारी तहज़ीब की रहनुमाई करते थी. मालवा में आसामान में पानी दिखा नहीं कि गाँव-क़स्बों के बच्चे गाते निकल पड़ते थे सड़क पर ’पाणी बाबो आयो..ककड़ी भुट्टा लायो"(पानी बाबा आया ..ककड़ी भुट्टा लाया)या मराठी में ये रे ये रे पाऊसा..तुला देतो पईसा (आ रे पानी तू आ तुझे पैसा देते हैं)अब तो rain rain go away वाली पीढ़ी तैयार कर ली हमने वह लता,मजरूह और चित्रगुप्त के सृजन की थाह क्या पाएगी.तकनीक और तेज़ी का आसरा तो ठीक था यूनुस भाई लेकिन उसकी ग़ुलामी ने सब चौपट कर दिया. ये लोरी आप-हम सब को भाषा के पार ले जाकर उसकी मार्मिकता का दीदार करवाती है.इस गीत पर आँखों से आँसू आ जाना और रोंगटों का खड़ा हो जाना हमारे मनुष्य होने की रसीद है.
ReplyDeleteshabd nahi hai ...aapne kya cheez suna di ......bahut bahut dhanyavad
ReplyDeleteचंदा मामा आरे आवा पारे आवा नदिया किनारे आवा ....
ReplyDeleteठुनकता बचपन
लकडी की काठी बनी छडी,
सब याद आ गये,
शुक्रिया जी :)
वाह, आज मजा आ गया ये गीत सुनकर ... पता नहीं आज कितने सालों बाद सुना है वाह ,वाह.. धन्यवाद.... ।
ReplyDeleteyunus khan ko doobeyji ka jabalpur se pyar bhara namaskar aap ki awaj ka kayal to pehle hi se tha ab apke blog ka bhi ho gaya thanks for lovely song
ReplyDeleteनहीं युनूस जी, मुझे लता की आवाज़ में सुनना अच्छा नहीं लगा। ये गीत तो किसी माँ की आवाज़ में ही अच्छा लगता है क्योंकि माँ की आवाज़ में जो स्नेह होता है वो किसी भी गले का माधुर्य पूरा नहीं कर सकता।
ReplyDeleteवैसे पालने में आप बहुत अच्छे लग रहे है… वेरी क्यूट
यूनुस भाई,
ReplyDeleteये गीत जिसे मैं लोकगीत कहूंगा,हमारे भी बचपन को छूकर ही गुजरा है. इस गीत में बसे उस दादी के प्यार भरे गर्माहट को मैं कैसे भूल सकता हूँ.
यदि मेरा पीसी ठीक हो तो अनुभवों को डालने के लिए मन बेताब हो चला है.
शब्द नहीं है जो ईस गीत की तारीफ कर सकें, बस ईतना कहूंगा - दिल को छू लिया है । डाउनलोड करने मिलता तो अच्छा होता।
ReplyDeleteआपने तो हमे बचपन के दिनों की याद दिला दी बहुत बहुत शुक्रिया | आँखे नम हो गई मन कर रहा है की काश वो दिन फ़िर से लौट आते
ReplyDeleteits a nice song to hear, where i can get this song any website?
ReplyDeletethanks
its a nice song to hear, where i can get this song any website?
ReplyDeletethanks
bahut ache..maine ise thode se alag shabdo mein suna hai
ReplyDelete'aap khaye thali mein
munne ko de pyali mein
pyali gayi toot
munna gaya rooth'
thali nahi tootegi