रेडियोवाणी के एक साल पूरे होने पर मैंने कहा था कि इस साल कोशिश ये रहेगी कि आपको कुछ पॉडकास्ट अपनी आवाज़ में भी सुनवाए जाएं । तो लीजिए इस कड़ी में आपको सुनवा रहा हूं आनंद बख्शी के गाए गीतों पर केंद्रित ये पॉडकास्ट ।
लेकिन इससे पहले कुछ और बातें करना चाहता हूं ।
रेडियोवाणी और रेडियोनामा दोनों पर हम पॉडकास्ट पर थोड़ा और ज़ोर देना चाहते हैं । रेडियोनामा पर जल्दी ही आप रेडियोसखी ममता सिंह की आवाज़ में मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास निर्मला का वाचन सुनेंगे । आप सोचेंगे कि निर्मला ही क्यों । दरअसल कुछ बरस पहले विविध भारती के लिए रेडियोसखी ममता सिंह ने निर्मला का वाचन किया था जिसे देश-विदेश के श्रोताओं ने बहुत सराहा था । अफ़सोस ये है कि उस समय उसकी कोई कॉपी विविध भारती के संग्रहालय में सुरक्षित नहीं रखी जा सकी । इस तरह से एक शुरूआत भी होगी और एक डेटाबेस भी बनेगा । उम्मीद करूं कि हम ऐसी व्यवस्था कर पाएंगे कि इन तमाम कडियों को आप डाउनलोड भी कर पाएं । अगर आपके मन में कोई ऐसी आकार में छोटी कृति है और जिसे लेकर कॉपीराइट का कोई इशू नहीं बनता, तो सुझाएं । जल्दी ही रेडियोनामा और रेडियोवाणी पर मैं और रेडियोसखी ममता सिंह दोनों ही कुछ कृतियों का वाचन आरंभ करेंगे ।
अपनी राय देकर इस मुद्दे को आगे बढ़ाएं । ताकि जल्दी ही काम शुरू करें ।
तो चलिए फिलहाल आनंद बख्शी की गायकी पर केंद्रित ये पॉडकास्ट सुनें ।
अरे भाई शोले की क़व्वाली तो पूरी सुनवा देते . आनंद बक्षी के गाए और गीत तो हमारे पास है, यही क़व्वाली नही है.
ReplyDeleteजी मुझे पता था कि ये सवाल उठेगा । ये टीज़र था । जल्दी ही आ रही है शोले की ये पूरी कव्वाली
ReplyDeleteHuzoor, aapki awaz to bilkul Amin Sayani jaisi lagti hai.
ReplyDeleteमजा आ गया, आपके विविध भारती के कार्यक्रमों की लाइव स्ट्रीमिंग हो सकती है क्या?
ReplyDeleteSir,
ReplyDeleteI used to listen to your show on vividh barati at night everyday. Felt great to hear your wonderful voice again.
Thanks,
Aditya
कृतियों के वाचन पॉडकास्ट करने का विचार उत्तम है।
ReplyDeleteप्रेमचंद के उपन्यास प्रेमा का भी वाचन किया जा सकता है जिसका महत्व कई अर्थों में है जैसे यह प्रेमचन्द का पहला उपन्यास माना जाता है इसीलिए इसका आकार भी सबसे छोटा है।
ReplyDeleteनिर्मला को तो दूरदर्शन पर धारावाहिक के रूप में प्रस्तुत किया जा चुका है पर प्रेमा को नहीं।
प्रेमा उर्दू में भी है जिसका नाम हमख़ुर्बान या ऐसा ही कुछ है इससे उर्दू साहित्य प्रेमी भी इससे जुड़ेगें।
प्रेमचंद की रचनाओं के साथ-साथ ऐसे और भी पोडकास्टस का इंतज़ार रहेगा,
ReplyDeleteham to pehli baar aapki avaaz sun rahey hain :}....mamtaa ji ke podcast ka besabri se intzaar rahegaa,,,shubhkaamnaayen
ReplyDeleteWOW बड़िया आइडिया।
ReplyDeleteaapka podcast sunte sunte light chali gayi. mamla shole ki qawaali tak pahuuncha tha.comment ups ke sahare likh raha hoon
ReplyDeletebehtareen prastuti maza aaya.