
आज दशहरा है ।
मैं दो दिन पहले ही जबलपुर से लौटा हूं । जबलपुर का दशहरा बड़ा ही प्रसिद्ध है । दुर्गोत्सव की छटा जबलपुर में देखते ही बनती है । इस बार जबलपुर में घूम घूमकर दुर्गोत्सव देखा और पुराने दिनों को याद किया । सबसे अच्छा लगा सिद्धिबाला बोसा बांगला लाईब्रेरी के प्रांगण में जाकर दुर्गा प्रतिमा को देखने में । यही वो पंडाल है जहां मैंने बंगाल के कई लोकप्रिय कलाकारों के बाउल गीत सुने हैं । बंगाल की संस्कृति की अनमोल झांकी देखने मिलती है वहां । इसके अलावा गोविंदगंज रामलीला जो तकरीबन डेढ़ सौ सालों से जबलपुर का गौरव रही है, उसके मंच को देखकर भी अच्छा लगा ।

बहरहाल विजयादशमी प्रतीक है बुराई पर अच्छाई की जीत का । और जब जब मौक़ा आया है फिल्म-संसार ने रामलीला के प्रयोग किये हैं । तो आईये विजयादशमी के इस मौक़े पर तीन अलग-अलग फिल्मी रामलीलाएं सुनी जाएं । एक रामलीला आज सुनवाई जा रही है और बाकी दो का जिक्र होगा कल ।
पहली रामलीला फिल्म स्वदेस की है । जावेद अख्तर ने इसे लिखा है और संगीत ए आर रहमान का है ।
आवाज़ें मधुश्री, आशुतोष गोवारीकर और साथियों की हैं । ये रामलीला का वाक़ई अद्भुत प्रयोग है । ये गीत मुझे बेहद पसंद है । ये गीत अपनी लेखनी, गायकी और संगीत तीनों के मामले में अनमोल है । इसीलिए मैं इसके शब्द भी दे रहा हूं ।
ताकि इसका पूरा आस्वादन किया जा सके । तो पढि़ए सुनिए और देखिए ये गीत ।
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पल पल है भारी वो विपदा है आई
मोहे बचाने अब आओ रघुराई ।।
आओ रघुबीरा ओ रघुपति राम आओ
मोरे मन के स्वामी मोरे श्रीराम आओ
राम राम जपती हूं सुनो मेरे राम आओ
राम राम जपती हूं सुनो मेरे राम जी
बजे सत्य का डंका, जले पाप की लंका
इसी क्षण तुम आओ मुक्त कराओ
सुन भी लो अब मेरी दुहाई ।। पल पल है भारी ।।
राम को भूलो ये देखो रावण आया है
फैली सारी सृष्टि पर जिसकी छाया है
क्यों जपती हो राम नाम तुम
क्यों लेती हो राम नाम तुम
राम नाम का रटन जो तुमने है लगाया
सीता..सीता तुमने राम में ऐसा क्या गुण पाया ।।
गिन पाये जो उनके गुण कोई क्या
इतने शब्द ही कहां हैं
पहुंचेगा उस शिखर पर कौन भला
मेरे राम जी जहां हैं
जग में सबसे उत्तम हैं
मर्यादा पुरूषोत्तम हैं
सबसे शक्तिशाली हैं
फिर भी रखते संयम हैं
पर उनके संयम की अब आने को है सीमा
रावण समय है मांग ले क्षमा ।
बजे सत्य का डंका, जले राम की लंका
आये राजा राम करे हम प्रणाम
संग आये लक्ष्मण जैसा भाई ।। पल पल है भारी ।।
राम में शक्ति अगर है, राम में साहस है तो
क्यों नहीं आये अभी तक वो तुम्हारी रक्षा को
जिनका वर्णन करने में थकती नहीं हो तुम यहां
ये बताओ वो तुम्हारे राम हैं इस वक्त कहां ।।
राम हिरदय में हैं मेरे राम ही धड़कन में हैं
राम मेरी आत्मा में राम ही जीवन में हैं
राम हर पल में हैं मेरे राम ही हर सांस में
राम आशा में मेरे राम ही हर आस में ।।
राम ही तो करूणा में हैं शांति में राम हैं
राम ही एकता में प्रगति में राम हैं
राम बस भक्तों नहीं शत्रु के भी चिंतन में हैं
देख तज के पाप रावण राम तेरे मन में हैं
राम तेरे मन में हैं राम मेरे मन में हैं ।
राम तो घर घर में हैं राम हर आंगन में हैं
मन से रावण जो निकाले राम उसके मन में हैं ।
मन से रावण जो निकाले राम उसके मन में हैं ।।
पल पल है भारी वो विपदा है आई
मोहे बचाने अब आओ रघुराई ।।
सुनो राम जी आए । मोरे राम जी आए
राजा रामचंद्र आये । श्रीराम चंद्र आए ।।
फिल्म संसार की दो और रामलीलाएं हैं । जिनका जिक्र कल किया जायेगा ।
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वाह युनूस भाई
ReplyDeleteदशहरे के दिन सुबह सुबह रामलीला दिखवाये दिये. आनन्द आ गया. यह मूवी देखी नहीं थी आज पहली बार देखा शायद इसलिये और भी आनन्द आ गया.
बाकी की बची दो भी लाओ.
जबलपुर यात्रा का तो क्या पूछना. वो तो अच्छी ही रही होगी.
वाह यूनुस भाई, आप तो हर चीज के गाने-वीडियो निकाल लाते हैं। आभार इसे प्रस्तुत करने के लिए।
ReplyDeletedurlab hai ye geet, likha bhi khoob hai javed bhai ne
ReplyDeleteअरे यूनुस! मैं तो रिपोर्ट लिखाने की सोच रहा था कि यूनुस कहाँ गायब हो गये? कहीं इलाहाबाद न आये होओ! :-)
ReplyDeleteचलो सुकून हुआ और दमदार पोस्ट देख कर आनन्द भी आया!
विजयदशमी मुबारक।
मुझे भी बहुत पसन्द है यह गीत.. शानदार-जानदार पोस्ट.. मैं इसे अपने ब्लॉग पर 'अपनी सिफ़ारिश' में शामिल कर रहा हूँ.. शुक्रिया..
ReplyDeleteयुनूसभाई,
ReplyDeleteलगान की तुलना में मुझे स्वदेस उतनी पसंद नही आयी थी. लेकिन ये गीत बढिया है.
सभी मित्रों को धन्यवाद ।
ReplyDeleteज्ञान जी आपकी जानकारी के बिना मैं इलाहाबाद हो आऊं ऐसा कहां मुमकिन है ।
दरअसल जबलपुर से ही लौट आया । इलाहाबाद अलग से आऊंगा ।
थोड़े दिनों का विराम था । अब फिर सक्रिय हूं ।
अभय भाई शुक्रिया अपनी सिफारिश में शामिल करने के लिए ।
और हां विकास भाई, फिल्म के रूप में स्वदेस वाकई कमजोर थी लेकिन इस गीत की तो बात ही अलग है ।
यूनुस भाई
ReplyDeleteकुछ शब्द नहीं है, कहने के लिये रात को घर जाने से पहले दस बारह बार सुना और सुबह आने के बाद यह छठवीं बार बज रहा है। ग्राहक भी आश्चर्य कर रहे हैं कि पुराने गाने सुनने वाले इस बंदे को क्या हो गया एक नये गाने को बार बार सुन ओ रहा है!!
वीडीयो की क्वालिटी और उसमें आवाज भी उतनी अच्छी नहीं है, ईस्निप पर ही मजा आ रहा है।
यूनुस भाई, जबलपुर में किस-किस से मुलाक़ात हुई, वहाँ की हालचाल विस्तार से दो। और हाँ, मुझे स्वदेश अधिक अच्छी लगती है। - आनंद
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