Sunday, September 9, 2007

आज जगजीत कौर को दो सुनहरे नग्मे—काहे को ब्याही बिदेस और तुम अपना रंजोगम

इन दिनों मैं आपको संगीतकार ख़ैयाम की जीवनसंगिनी जगजीत कौर के सुनहरे नग्‍मे सुनवा रहा हूं ।
जगजीत जी ने ज्‍यादा गीत नहीं गाये लेकिन उनकी आवाज़ में मिट्टी की महक है । उनकी आवाज़ में
एक सादगी है और है एक नमी ।

उनके ये मुट्ठी भर गीत संगीत के क़द्रदानों के लिए अनमोल दौलत की तरह हैं ।

आज मैं आपको उनके दो गीत सुनवा रहा हूं । एक फिल्‍म शगुन का गीत है और दूसरा फिल्‍म उमराव जान का है ।

फिल्‍म शगुन का गीत साहिर लुधियानवी ने लिखा है और उमराव जान की रचना पारंपरिक है ।

शगुन फिल्‍म का गीत लोग आज भी अपने पास संजोकर रखते हैं । इसमें ग़म बांटने की बात कही गयी है ।
बस इतना ही कहना है कि इस गाने के पियानो पर ध्‍यान दीजियेगा ।
पियानो की इतनी शानदार तान कम ही गानों में मिलती है ।

दूसरा गीत बिदाई का गाना है । और इसमें इतनी मार्मिकता है कि आंसू आ जायें ।

आज की इस संक्षिप्‍त पोस्‍ट में गीत सुनिए और बताईये कि कैसे लगे ।



Get this widget Share Track details


तुम अपना रंजोग़म अपनी परेशानी मुझे दे दो
तुम्‍हें ग़म की क़सम इस दिल की वीरानी मुझे दे दो ।।

ये माना मैं किसी क़ाबिल नहीं हूं इन निगाहों में
बुरा क्‍या है अगर ये दुख ये हैराीन मुझे दे दो ।।

मैं देखूं तो सही दुनिया तुम्‍हें कैसे सताती है
कोई दिन के लिए अपनी निगेहबानी मुझे दे दो ।।

वो दिल जो मैंने मांगा था मगर ग़ैरों ने पाया था
बड़ी शय है अगर उसकी पशेमानी मुझे दे दो ।।




Get this widget Share Track details

काहे को ब्‍याहे बिदेस अरे लखिया बाबुल मोहे

हम तो बाबुल तोरी बेले की कलियां
अरे घर घर मांगी जाये,

हम तो बाबुल तोरे पिंजरे की चिडि़या
अरे कुहुक कुहुक रटी जायें,

महलां गली सी डोला जो निकला
अरे बीरन ने खाई पछाड़,

भैया को दियो बाबुल महला दुमहला
हमको दियो परदेस,

काहे को ब्‍याहे बिदेस ।।


ललित कुमार जी ने बताया है कि कविता कोश में यहां इस रचना को पूरा पढ़ा जा सकता है ।


Technorati tags:
“जगजीत कौर” ,
”काहे को ब्याही बिदेस” ,
”तुम अपना रंजो गम” ,
”खैयाम”,
”kahe ko byahi bides” ,
”tum apna ranjo gham”,
khyyam
”jagjit kaur “,


चिट्ठाजगत पर सम्बन्धित: काहे-को-ब्याही-बिदेस, तुम-अपना-रंजो-गम-अपनी-परेशानी-मुझे-दे-दो, जगजीत-कौर, खैयाम, उमराव-जान, शगुन,

20 comments:

  1. यूनूस भाई प्ले नहीं हो रहे हैं दोनों गाने, गड़बड़ मेरे यहाँ है कि आपके यहां पता नहीं।

    ReplyDelete
  2. सागर भाई यहां तो बज रहे हैं । और फौरन बज रहे हैं ।

    ReplyDelete
  3. "काहे को ब्‍याहे बिदेस अरे लखिया बाबुल मोहे"
    विश्व की सबसे कारुणिक सेटिंग है यह - और आंखें गीत सुन कर अनायास नम हो जाती हैं. उसके लिये गीत-संगीत की बहुत पहचान होने की दरकार नहीं है.

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर गीत हैं ये दोनो ही । बचपन. किशोरावस्था , यौवन सब याद आ गए । १५ वर्ष में केवल दो बार कुल मिलाकर ३ रात व दिन के लिए माँ के घर जाना याद आ गया । तुम अपनी कॉलेज के दिनों की याद दिला गया , जब मैं एक महीने के टी टी कोचिन्ग कैम्प में गई थी । बहुत, बहुत धन्यवाद ! निगेहबानी व पशेमानी का अर्थ बताएँगे क्या ?
    घुघूती बासूती

    ReplyDelete
  5. दोनो ही गीत बहुत ही सुंदर और पुरकशिश हैं। जैसा कि यूनुस भाई ने कहा "काहे को ब्याहे" एक पारम्परिक गीत है। यहाँ मैं यह जोड़ना चाहूँगा कि इसके रचयिता अमीर खुसरो हैं और उमराव जान फ़िल्म में मूल रचना का कुछ हिस्सा ही गाया गया है। यदि आप पूरी रचना पढ़ना चाहें तो यह कविता कोश में उपलब्ध है। लिंक है:

    http://hi.literature.wikia.com/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A5%87_%E0%A4%95%E0%A5%8B_%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A5%87_%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B8_/_%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%B0_%E0%A4%96%E0%A5%81%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A5%8B

    ललित कुमार

    ReplyDelete
  6. शुक्रिया । घुघूती जी निगेहबानी का मतलब है ख्‍याल रखने का हक़ ।
    और पशेमानी यानी मोटे अर्थों में परेशानी ।

    वैसे उर्दू शब्‍दों के अर्थ आप यहां देख सकती हैं आसानी से ।

    http://ebazm.com/dictionary.htm

    ललित जी आपका भी शुक्रिया । अच्‍छा लिंक उपलब्‍ध कराया आपने भी ।

    ReplyDelete
  7. आपका दिल से शुक्रिया इन गीतों को सुनवाने के लिए. जगजीत कौर जी की आवाज़ ,इस गीत को ऎसी कसक दी है कि पूछिये मत .अभी मैं इसे शायद चौथी बार लगातार सुन रही हूं और अगला गीता सुनने का नंबर कला आएगा.

    ReplyDelete
  8. एक बार फिर से शुक्रिया, यूनुस भाई!

    ReplyDelete
  9. युनुसजी,
    दोनों गीत बहुत बढिया रहे ।

    काहे को बिहायी विदेश अमीर खुसरो की बंदिश है और इसको अनेंको रूपों में गाया गया है ।

    साभार,

    ReplyDelete
  10. (क) काहे को ब्याही बिदेस रे लखि बाबुल मोरे।
    हम तो बाबुल तोरे बागों की कोयल, कुहकत घर घर जाऊँ
    लखि बाबुल मोरे। हम तो बाबुल तोरे खेतों की चिड़िया चुग्गा चुगत उड़ि जाऊँ
    जो माँगे चली जाऊँ लखि बाबुल मोरे, हम तो बाबुल तोरे खूंटे की गइया।
    जित हॉको हक जाऊँ लखि बाबूल मोरे लाख की बाबुल गुड़िया जो छाड़ी।
    छोड़ि सहेलिन का साथ, लखि बाबुल मोरे। महल तले से डोलिया जो निकली
    भाई ने खाई पछाड़, लखि बाबुल मोरे, आम तले से डोलिया जो निकली।
    कोयल ने की है पुकार लखि बाबुल मोरे। तू क्यों रोवे है, हमरी कोइलिया।
    हम तो चले परदेस लखि बाबुल मोरे। तू क्यों रोवे है, हमरी कोइलिया।
    हम तो चले परदेस लखि बाबुल मोरे। नंगे पाँव बाबुल भागत आवै।
    साजन डोला लिए जाय लखि बाबुल मोरे।
    इसी का दूसरा रुप।

    (ख) काहे को ब्याही विदेस रे लखि बाबुल मोरे।
    भइया को दी है बाबुल महला-दुमहला, हम को दी है परदेस,
    लखि बाबुल मोरे। मैं तो बाबुल तोरे पिंजड़े की चिड़िया
    रात बसे उड़ि जाऊँ, लखि बाबुल मोरे। ताक भरी मैने गुड़िया जो छोड़ी,
    छोड़ दादा मियां का देस, लखि बाबुल मोरे। प्यार भरी मैंने अम्मा जो छोड़ी,
    बिरना ने काई पछाड़, लखि बाबुल मोरे, परदा उठा कर जो देखा
    आऐ बेगाने देस लखि बाबुल मोरे।

    ReplyDelete
  11. प्रिय यूनुस,
    मैं रोजाना तुम्‍हारे ब्‍लॉग पर आता हूँ। अभी कुछ दिनों पहले तुमने जो कव्‍वाली पर ब्‍लॉग लिखा था, मैं उसे सुन/देख नहीं पाया। ऐसा लगता है, मेरे Youtube के लिंक यहां नहीं खुल रहे हैं। शायद सर्वर की तरफ से ही कुछ प्रॉब्‍लम होगी। यह 'काहे को ब्‍याहे बिदेश' बहुत ही प्रभावशाली गीत है। कई बार तो ऐसा लगता है कि काश! मैं गा सकता तो कितना अच्‍छा होता। और हां, इन दिनों ब्‍लॉग में घूमते घूमते मेरी भी इच्‍छा ब्‍लॉग लिखने के हो रही है, पर हिम्‍मत नहीं जुटा पा रहा हूँ। रोज-रोज लिखने के लिए सामग्री कहाँ से जुटाऊँगा? --- आनंद

    ReplyDelete
  12. यूनूस ज़ी आपके ब्लाग पे आये बिना हमारा दिन पूरा नही होता । दोनो गीत बहुत सुदंर्।….....…

    ReplyDelete
  13. Yunusbhaai,
    Why these wives sing only for their husbands ? Anil Biswas's wife sang only for him. And so Khayyam's wife. Have u ever asked this question to them in any of your interview on Vividh Bharati?

    ReplyDelete
  14. दोनों ही गीत बेहद अच्छे चुने आपने . जगजीत कौर खय्याम साहब की पत्नी हैं ये मुझे नहीं पता था.

    ReplyDelete
  15. "jhoola kinane dala amraiy" bhi sunvaiye. Umrao jaan ka gana hai...
    chaliya, aapki agali post ka intzaar hai...

    ReplyDelete
  16. श्री युनूसजी,

    विषयांतर के लिये पाठको और आपसे माफ़ी चाहता हूँ । पर अवसर के हिसाबसे यह विषयांतर उपयूक्त है ऐसा यह टिपणी पढ़ कर पाठकगण जरूर मेह्सूस करेंगे ।
    कल यनि १५ अक्तूबर के दिन हिन्दी और गुजाराती फ़िल्मो और नाटक के अभिनेता और तीसरा किनारा और जुजराती फ़िल्म विसामो (फ़िल्म बागबां, अवतार सुर संजीव कूमार अभिनीत जिन्दगी ) के निर्देषक श्री क्रिष्नकांतजी का जन्म-दिन है । उनका जन्म हावरा (कोलकटा)में १९२० के दिन हुआ था ।
    अभी पिछले सप्ताह रेडियो श्री लंका के १९५६ से १९६७ तक वहां सक्रिय उद्दघोषक श्री गोपाल शर्माजी सुरत आये थे । मूझे खुशी है कि मैं उन दोनो पुराने मित्रो के लम्बे अरसे बाद हुए मिलन का निमीत बननेका सौभाग्य प्राप्त हुआ । श्री गोपाल शर्माजी की एक छोटी सी पर जाहेर सभा भी मेरे अनुरोघ पर मेरे कुछ मित्रो के दिली सहयोगसे हो सकी । और वे मेरे घर भी आये थे ।
    श्री क्रिष्नकांतजी को ८६वी साल गिरह की हार्दिक बधाई ।
    पियुष महेता (सुरत)।
    दि. १४-०९-२००७.

    ReplyDelete
  17. सुधार : अक्तूबर के स्थान पर सितम्बर
    गलती के लिये माफ़ी चाहता हूँ ।
    पियुष महेता
    सुरत

    ReplyDelete
  18. भाई युनुस
    तुम अपना रंजो ग़म, मेरा बहुत पसंदीदा गीत है, मेरे संग्रह में भी है। इसका वीडियो भी डालते, तो भी अच्छा होता। फ़िल्म में भी पिआनो पर ही गाया गया है। लेकिन आपके वाले वर्शन में थोड़ा नया संगीत डाल कर डब किया गया लगता है। आज बहुत दिनों बाद ये गाना सुनकर रोना आ गया।

    ReplyDelete
  19. युनुस जी
    दोनों ही गाने मेरे पसंदीदा गीत हैं। बहुत दिनों बाद सुनने को मिलेए, धन्यवाद,सुरैया के गानों का दौर हो गया क्या, क्या हम देर से आए, अगर हाँ तो प्लीज लिंक दिजिए कहाँ हैं वो गाने।॥मिर्जा गालिब के गाने सुरैया की अवाज में।

    ReplyDelete
  20. युनूस जी - "तुम अपना रंजोगम" जगजीत कौर की आवाज में बेहतरीन बन पडा है जिसकी कोइ मिसाल नज़र नहीं आती. हम तक पहुंचाने के लिए लाख लाख शुक्रिया.

    ReplyDelete

if you want to comment in hindi here is the link for google indic transliteration
http://www.google.com/transliterate/indic/